LAC बॉर्डर नाथुला सिक्किम, में एक फौजी ऐसा भी है जो मरने के बाद भी देश की सीमा की रखवाली कर रहा है| नाथुला सिक्किम का एक हिस्सा है जो LAC बॉर्डर के निकट स्थित है| वहाँ से रात को कोई भी भारत की सीमा दाखिल नहीं हो सकता| तो आइये जानते है क्या है सच, ये कहानी है बाबा हरभजन सिंह की-
कैसे हुआ शुरू
बाबा हरभजन का जन्म 30 अगस्त 1946 पंजाब, में हुआ था| जो 9 फरवरी 1966 को भारतीय सेना के पंजाब रेजिमेंट में एक सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे| 4 अक्टूबर 1968 में सिक्किम में सेवारत थे जब उनकी मृत्यु हुई| हुआ ये था की वो नाथुला पास, पूर्वी सिक्किम, LAC बॉर्डर के पास एक चट्टान से उनका पैर फिसल गया जिससे वे नाले में गिर गए| पानी का बहाव इतना ज़्यादा था की वो वहाँ से दूर चले गए |


कुछ समय तक उनकी तलाश की गयी पर जब वो नहीं मिले तो उन्हें बागोड़ा घोषित कर दिया गया| उसके बाद उन्होंने अपने दोस्त प्रीतम सिंह के सपने में आकर अपने शव के बारे में बताया| पहले तो उनके दोस्त की बात पर किसी को भरोसा नहीं हुआ, पर बाद में जब उनका शव ठीक उसी जगह मिला| तो सभी को उन पर विश्वास होने लग गया|
हरभजन सिंह की समाधी भी उसी जगह बनायीं गयी है| जहाँ पर उनकी मौत हुई थी| उनकी समाधी एक तीर्थस्थल बनी हुई है| जहाँ पर साल भर में लाखो लोग आते है| श्रद्धालुओं का ध्यान रखते हुए उनकी समाधी 1982 में 9 किलोमीटर निचे बनवा दी गयी| ऐसा माना गया की समाधी की इच्छा भी उन्होंने अपने एक दोस्त के सपने में आ कर प्रकट की थी |
उनकी समाधी अब आस्था का केंद्र बन गयी है और ऐसा माना जाता है| अगर उधर पानी की बोतल रख दो तो उसमे 21 दिन में ऐसे गुण आ जाते है जिससे की बीमारिया भी ठीक हो जाती है| बाबा की समाधी में उनके जूते, कपड़े रखे हुए है| जिसकी रखवाली सेना के जवान करते है| उन जवान का कहना है की बाबा के जूतों पर मट्टी लगी मिलती है कपड़ो पर सुकड़न और उनके बिस्तर बिखरे हुए मिलते है|


आज भी करते है देश की सेवा
भारत और चीन की फ्लैग मीटिंग में एक कुर्शी बाबा के लिए खली छोड़ी जाती है| बाबा रात को LAC बॉर्डर पर देश की रक्षा करते है समय-समय पर जवानो के सपने में आकर चीन के सेनिको की योजना के बारे में आगाह करते रहते है| यहाँ तक की चीनी सेनिको ने भी LAC बॉर्डर पर किसी को घोड़े पर गस्त लगते हुए महसूस किया है| बाबा ने मरने के उपरांत भी 50 साल तक देश की रक्षा की है|
अब बाबा की पदोन्नति कप्तान की हो गयी है| कप्तान को साल में दो महीने की छुट्टी 15 सितम्बर से 15 नवंबर तक दी जाती है| उनके सामन को साल भर के वेतन के साथ दो जवानो के सहारे नाथुला से न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन तक लाया जाता है| फिर वहाँ से उनके पंजाब अमृतसर एक्सप्रेस से ले जाया जाता है| उस गाड़ी में टिकट बाबा के नाम से होती है| और फिर उन्हें सेना की गाड़ी से उनके गांव छोड़ कर आते है और उनका सामान उनकी माता को सौप दिया जाता है| छुट्टिया ख़तम होने के बाद वापस उसी तरह उनको नाथुला सिक्किम, LAC बॉर्डर ले जाया जाता है|
जब कप्तान छुट्टियों पर घर जाते है तो पूरा LAC बॉर्डर हाई अलर्ट पर रहता है|
कुछ लोगो ने इसे अंधविश्वास कहते है| उन्होंने इसके खिलाफ कोर्ट में केस किया था| जिसके बाद बाबा की छुट्टिया कैंसिल कर दी गयी और अब बाबा पुरे साल देश की रक्षा करते है|